शब्द और पद
हम अक्सर शब्द और पद को एक ही समझ लेते हैं लेकिन वास्तव में दोनों में अंतर है।
आज हम विस्तृत रूप से दोनों के बारे में अध्ययन करेंगे।
दोनों का आपस में सम्बन्ध और भेद के बारे में हम समझेंगे।
शब्द
दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक मेल से बने वर्ण -समूह को शब्द कहते हैं।
अथवा
एक से अधिक वर्णों के सार्थक ध्वनि-समूह को शब्द कहते हैं।
जैसे -- राम, शिव ,राधा, आप , मेरा , सफलता, दर्द आदि।
प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं ---
१. विकारी शब्द :-- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया
२. अविकारी शब्द :-- क्रियाविशेषण, समुच्चयबोधक,संबंधबोधक,विस्मयादिबोधक
पद
जब सार्थक वर्ण-समूह का प्रयोग वाक्य में किया जाता है, तो उस शब्द को पद कहते हैं। अब यह केवल शब्द नहीं रह जाता है बल्कि यह वाक्य में लिंग, वचन, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण इत्यादि दर्शाता है।
अथवा
जब कोई शब्द स्वतंत्र न रहकर व्याकरण के नियमों में बँध जाता है, तब वह शब्द ‘पद’ बन जाता है। इस प्रकार वाक्य में प्रयुक्त शब्द ही ‘पद’है। कारक, वचन, लिंग, पुरुष इत्यादि में बँधकर शब्द `पद’बन जाता है।
अथवा
जब कोई सार्थक शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है, तब उसे 'पद' कहते हैं।
जैसे –
रमेश आम खा रहा है।
इसमें रमेश , आम, खा रहा है ये सभी पद हैं।
शब्द व पद में अंतर
जैसे- र्+आ+म्+अ =राम
घ्+अ+र्+अ=घर
यही सार्थक शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो ‘पद’ कहलाते हैं। जैसे- राम घर कब आएगा ?
अब यहाँ पर ‘राम’ एक पद है और’ घर’ दूसरा अलग पद कहलाएगा।
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